स्वरोदय विद्या में शिवजी ने बताया है कि पत्नी के चन्द्र स्वर को पुरूष अपने सूर्य चन्द्र द्वारा ग्रहण करके प्राण में स्थिर कर दे तो पत्नी आजीवन वशीभुत रहती है। जो व्यक्ति अपना स्वर देकर उसका स्वर ग्रहण करता है तो जिसका स्वर ग्रहण किया जाता है वह स्वर https://free-kundli67540.review-blogger.com/55156756/rumored-buzz-on-best-vashikaran-video-in-the-world